tag:blogger.com,1999:blog-2584004385274689358.post4945275476560591078..comments2019-04-27T17:02:31.908+05:30Comments on janasatta: दलाईलामा के खिलाफ अब हुई बगावतगूगल मित्रhttp://www.blogger.com/profile/17719251231605581199noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-2584004385274689358.post-34512178798137696182008-03-16T20:10:00.000+05:302008-03-16T20:10:00.000+05:30aap jansatta ko durust karen kyunki rahul dev se l...aap jansatta ko durust karen kyunki rahul dev se lekar om thanvi tak ne iski maa bahan ki hai.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2584004385274689358.post-1601296178720861652008-03-16T20:09:00.000+05:302008-03-16T20:09:00.000+05:30जनसत्ता के बारे में पढ़ा। अच्छा लगा। भगवान करें कि...जनसत्ता के बारे में पढ़ा। अच्छा लगा। भगवान करें कि आप इसे जीवित करें, क्योंकि राहुल देव से लेकर ओम थानवी तक ने इस अखबार को रखैल की तरह इस्तेमाल किया।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2584004385274689358.post-14772998368750091372008-03-15T20:48:00.000+05:302008-03-15T20:48:00.000+05:30जनसत्ता के बारे में ये भी पढ़ें ---http://hi.wikip...जनसत्ता के बारे में ये भी पढ़ें ---<BR/>http://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%9C%E0%A4%A8%E0%A4%B8%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%BEAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2584004385274689358.post-57524736465003968182008-03-14T10:43:00.000+05:302008-03-14T10:43:00.000+05:30dalai lama se aap ka jhagda kab hua thadalai lama se aap ka jhagda kab hua thaAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2584004385274689358.post-33283538046626986882008-03-13T20:38:00.000+05:302008-03-13T20:38:00.000+05:30राजकुमार भारत की खोज पर निकले हैं। उनके मुताबिक भा...राजकुमार भारत की खोज पर निकले हैं। उनके मुताबिक भारत को जानने के लिए उसके गांवो को जानना जरूरी है। दिल्ली से दूर उड़ीसा के जंगलों की ख़ाक छानना जरूरी है। चलो अच्छा हुआ कम से कम उन्होंने ये तो माना कि उन्हें भारत के बारे में जानना अभी बाकी है। भले ही देश की सबसे बड़ी पार्टी के वो महासचिव हैं लेकिन भारत के बारे में जानना अभी बाकी है। राजकुमार हैं, आप को तो पता ही है राजकुमारों के नखरे भी आने दो चार आने के तो होते नहीं। बार-बार वही राय बरेली, वही अमेठी उन्हें भी राजमाता के ऊपर गुस्सा आ गया होगा। उन्होंने कहा नहीं मैं भारत की खोज करूंगा। भारत तो हर जगह बसता है फिर आप मुझे हमेशा अमेठी, रायबरेली ही क्यों भेजती हैं। थोड़ा मौसम, मिजाज़ बदलना चाहिए कि नहीं। राजमाता उन्हें बहलाती- अरे ये तो तुम्हारे बाप-दादों की नगरी है। यहीं से भारत शुरू होता है यहीं भारत खत्म हो जाता है। जैसे दस जनपथ के भीतर कांग्रेस शुरू होती है और मुख्य गेट तक आते आते खत्म। इससे इतर किसी कांग्रेस का कोई वजूद नहीं हो सकता।<BR/>फिर राजकुमार ने अपने देश को खोजने में 38 साल की उमर क्यों गुजार दी? दस जनपथ को घेरे रहने वाले चंपुओं ने उनमें उनकी दादी के गुण देखे थे। जिसे बिना कुछ किए ही राजसत्ता हासिल हो जाएगी। चंपुओं ने उन्हें विश्वास दिला दिया था कि आपके मस्तक पर राज्याभिषेक की रेखाएं चमक रही हैं। इसमें कौन सी नई बात है। वो तो उस चहारदीवारी की महिमा है। लेकिन धीरे-धीरे यूपी आया गया, पंजाब, उत्तराखंड आया गया, गुजरात भी आया और चला गया राजकुमार के मस्तक की रेखाओं ने कोई जादू नहीं दिखाया। तब चंपुओं को लगा कि इस राजकुमार में न बाप वाला लच्छेदार इक्कीसवीं सदी का विज़न है और न ही दादी वाला चमत्कारी तेज़। सत्ता हिलती दिखने लगी चंपुओं को। जिस राजकुमार के भरोसे अपनी गोटियां फिट की थी वो तो कोई चमत्कार नहीं दिखा पा रहा है। कहते हैं पूत के पांव पालने में दिखते हैं, ये राजकुमार तो कोई असर ही नहीं छोड़ पा रहा है। तभी जमात के बीच से किसी ने सुर्रा छोड़ा अरे भाई राजकुमार को “भारत दर्शन” करवाओ। एक तरफ पार्टी की नैया पार लगेगी दूसरी ओर अपना भी कल्याण होगा। दीन-हीन भारतीय जब जीवन का चौथा आश्रम देखता है तो उसे मुक्ति का सिर्फ एक ही रास्ता दिखता है चारो धाम की तीरथ यात्रा। इहलोक और परलोक सुधारने का असहाय हिंदुस्तानी के पास यही एक जरिया है। दस जनपथ को घेरे बैठे चंपुओं को भी अपना कल्याण इसी में नज़र आया कि राजकुमार भारत की खोज करें और अपना इहलोक और परलोक सुधारें। <BR/>इस तरह शुरू हुई है राजकुमार की भारत खोजो यात्रा। इसी तरह से चुनावी मौसम को भांप कर जंग लगे लौहपुरुष ने भारत उदय करने का बीड़ा उठाया था। पर नतीजा सबके सामने है। राजकुमार की इस खोज का नतीजा क्या होगा भगवान जाने। लेकिन उनके सहारे अपनी नैया मंझधार से पार लगाने की फिराक में बैठे चंपुओं की इस बार ख़ैरियत नहीं होगी। जो राजकुमार की हर विफलता के बाद एक नया झुनझुना लेकर हाजिर हो जाते हैं। आखिर राजमाता को भी राजकुमार की चिंता है। आखिर कब जवान होगा ये राजकुमार, या फिर उसके बस की भी है हिंदुस्तानी राजसमाज की टेढ़ी-रपटीली राहों का सफर या सिर्फ झुनझुनों और मेरे पिताजी मेरी दादीजी के नाम पर “सड़क दिखावा” (रोड शो) करता रहेगा। राजमाता गुस्से में हैं, और राजकुमार है कि अभी तक ठीक से राजनीति की एबीसीडी भी नहीं सीख सका। कभी कहता है एक रूपए का पांच पैसा विकास में नहीं लगता तो कभी कहता है मेरी दादीजी ने पाकिस्तान को बांट दिया। अरे चंपुओं 38 की उम्र भारत और राजनीति समझने के लिए बहुत होती है और वैसे तो भारत को खोजने के लिए पूरी उमर भी कम पड़ जाएगी। उन्हें अब तक नहीं समझ आयी तो अब क्या आएगी? लेकिन तुम्हारी तो रोजी-रोटी इसी पर टिकी है। वरना भारत को खोजने के लिए 38 साल नहीं लगते।<BR/>अतुल चौरसियाAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2584004385274689358.post-41731150715282309922008-03-13T20:14:00.000+05:302008-03-13T20:14:00.000+05:30I AM TOLD ABOUT THIS OUTLANDISH ARTICLE BY MR. ALO...I AM TOLD ABOUT THIS OUTLANDISH ARTICLE BY MR. ALOK TOMAR AND I STRONGLY OBJECT TO IT. H H. DALAI LAMA IS NOT JUST ANOTHER HUMAN BEING. HR IS GOD AND SHOULD BE TREATED THUS.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2584004385274689358.post-67780214903653717782008-03-13T20:12:00.000+05:302008-03-13T20:12:00.000+05:30पूज्य दलाई लामा के बारे में आपत्ति है तों मोठेर ते...पूज्य दलाई लामा के बारे में आपत्ति है तों मोठेर तेर्सा भारत रत्न कैसे बन गयी? हिटलर ने सुभाष चंद्र बोस को पुरी सेना बना कर दी थी उसके बारे में क्या? आलोक ने ये लेख सनसनी फैलाने के लिए लिखा है.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2584004385274689358.post-83578218985401086332008-03-13T20:08:00.000+05:302008-03-13T20:08:00.000+05:30दलाई लामा देश के छाती पर बोझ हैं और हमारी लोकतांत्...दलाई लामा देश के छाती पर बोझ हैं और हमारी लोकतांत्रिक अस्मिता के लिए एक चुमकुती भी. हम अगर तसलीमा नसरीन को स्वीकार नहीं कर सकते तों दलाई लामा हमारा दम्मद क्यों लगता है. इस हिसाब से कश्मीरी जेहादियों को आज़ादी के सिपाही की इज्ज़त देनी छाहिये.. अलोक तोमर के बरे में यह मानना पड़ेगा कि वे इस मुद्दे को लगातार उठाते आ रहे हैं. हमें उनका साथ देना चाहिए.Anonymousnoreply@blogger.com